इस महीने (ज्येष्ठ पूर्णिमा) बाबा नागार्जुन का जन्म दिन है।
''...वह १० जुलाई, १९९७ की शाम थी। शहर दरभंगा। खाजासराय वाले मकान (पंडासराय और रायसाहब पोखर के बाद इसी मोहल्ले में बाबा के बड़े बेटे शोभाकांत जी ने किराये पर घर लिया था) में बाबा बरामदे में बैठे थे। गया, तो दो-चार बातें हुइंर्। रुक-रुक कर बात करते थे उन दिनों बातों का सिरा भी बीच-बीच से गायब हो जाता था। लेकिन दिमाग की बेचैनी इन टूटे हुए सिरों से भी अर्थपूर्ण ढंग से निकलती थी। आखिरी दिनों में शायद ज्यादा आत्मविश्वास आ जाता है। उस दिन उन्होंने कहा कि एक कविता आयी है, लिखो। कागज़ और कलम सामने ही था। जिस लय में बाबा ने इसे लिखवाया, वह लय मैं अपनी जिंदगी में अब भी ढूंढ़ता हूं। बाबा की इस कविता में (मुझे लगता है) दृश्य जैसे उनके मन में आये होंगे, उन्होंने वैसे ही उसे कागज पर उतारने का मन बनाया होगा। बीमारी और जिन्दगी के वे आखिरी दिन बाबा के ...और उन आखिरी दिनों में मन में आने वाले चित्रों-छायाओं को शब्द देने के उनके उल्लास का मैं चश्मदीद ..एतद् द्वारा ऐलान करता हूं कि यह कविता हिंदी के जन कवि नागार्जुन की आखिरी कविता है।``
-अविनाश, (बाबा नागार्जुन के स्नेहपात्र रहे कवि अविनाश इन दिनों एनडीटीवी इंडिया में कार्यरत हैंमायावती मायावती गुरु गुन मायावती
मायावती-मायावती
दलितेंद्र की छायावती
मायावती-मायावती
जय-जय हे दलितेंद्र
प्रभु, आपकी चाल-ढाल से
दहशत में हैं केंद्र
जय-जय हे दलितेंद्र
जय-जय हे दलितेंद्र
आपसे दहशत खाये केंद्र
अगल-बगल हैं पंडित सुखराम
जिनक मुख में राम
सोने की इंर्टों पर बैठे हैं नरसिंह राव
राजा होंगे आगे चल कर
उनके पुत्र प्रभाकर राव
मायावती-मायावती
दलितेंद्र की शिष्या
छायावती-छायावती
दलितेंद्र कांशीराम
भाषण देते धुरझार
सब रहते हैं दंग
बज रहे दलितों के मृदंग
जय-जय हे दलितेंद्र
आपसे दहशत खाता केंद्र
मायावती/आपकी शिष्या
करे चढ़ाई
बाबा विश्वनाथ पर
प्रभो, आपसे शंकित है केंद्र
जय जय हे दलितेंद्र
मायावती-मायावती
गुरु गुन मायावती
मायावती-मायावती
गुरु गुन मायावती
मायावती-मायावती ॥
( जून,2007 अंक में प्रकाशित )
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