अमेरिकी हित बैंक
वुल्फोवित्ज की २००५ में विश्व बैंक में नियुक्ति के समय ही यूरोपीय संघ के कुछ वित्त मंत्रियों ने इस नियुक्ति पर गंभीर चिंता जाहिर की थी लेकिन अमेरिका समर्थक मीडिया ने यूरोपीय संघ के वित्त मंत्रियों की चिंता को खबर के लायक नहीं माना। नतीजा आज सामने है और इस नतीजे को देखकर आज जो पूंजी समर्थित मीडिया इसमें गर्मा-गर्म खबर की तलाश कर रहा है उसने ही उस वक्त उन वित्त मंत्रियों के इस आग्रह को अपना समर्थन नहीं दिया था कि वे वुल्फोवित्ज की नियुक्ति से पहले उनसे एक बार मुलाकात करना चाहेंगे। ब्रिटेन के विकास मामलों के मंत्री हिलेरी बैन ने इस पूरे घटनाचक्र पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस घटना ने बैंक को काफी नुकसान पहुंचाया है। जर्मनी के विकास मंत्री हाइडमारी विजोरेक जील ने भी कहा कि पॉल वुल्फोवित्ज को स्वयं से ही यह पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने अड़ियल रवैये के कारण बैंक को कितना नुकसान पहुंचाया है। इराक के युद्ध के प्रबल पैरोकार पॉल वुल्फोवित्ज व्हाइट हाउस के वफादार नेताओं में से रहे हैं और वे अमेरिका के रक्षा उपमंत्री भी रह चुके हैं। विश्व बैंक में नियुक्ति से पहले वुल्फोवित्ज की छवि एक आक्रामक और स्वामीभक्त की रही है और उनकी नियुक्ति भी अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के द्वारा नामांकन करने के बाद हुई थी। गौरतलब है कि विश्व बैंक का अध्यक्ष सामान्य तौर पर अमेरिका का उम्मीदवार ही होता आया है और इस बैंक में 'वर्ल्ड` केवल संज्ञा भर है।
वर्ल्ड बैंक के (अ) भूतपूर्व अध्यक्ष वुल्फोवित्ज के कारनामे से विश्व बैंक की छवि इतनी खराब हो गई थी कि जो विश्व बैंक दुनिया भर में भ्रष्टाचार से निबटने की बातें करता था वह खुद इसमें आकंठ संलिप्त था। जब वे अध्यक्ष बने थे तो अपनी कड़क और तानाशाही छवि को स्थापित करने के लिए उन्होंने कई देशों को दी जाने वाली सहायता राशि रोक दी। मगर शाहा रिजा के वेतन के मामलेे में नियमों के खिलाफ जाकर उन्होंने फैसला लिया और हालत यह हो गई कि शाहा रिजा का वेतन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइज से भी अधिक हो गया। हालांकि हितों के टकराव को ध्यान में रखकर रिजा का तबादला विदेश मंत्रालय में कर दिया गया था लेकिन वह इस तबादले से कतई खुश नहीं थी और तरह-तरह से तिकड़म भिड़ा रही थी। इसके बाद वर्ल्ड बैंक स्टाफ एसोसिएशन की प्रतिनिधि एलिस केव ने अध्यक्ष पॉल वुल्फोवित्ज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उनके खिलाफ माहौल लगातार गर्म होता चला गया। स्टाफ एसोसिएशन के कड़े रूख के बाद उनकी सभी रणनीतियां असफल होने लगीं तब उनके पास अपने पद को छोड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा।
गौरतलब है कि विश्व बैंक के सदस्य १८० से अधिक देश हैं। यूरोप के कई नेताओं ने भी वुल्फोवित्ज के तुरंत इस्तीफे की मांग की थी। इस्तीफे की वजह से वुल्फोवित्ज से अधिक परेशानी अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश को थी। क्योंकि बुश के प्रति इतना स्वामीभक्त विश्व बैंक में शायद ही कोई और आए। १९८९ से १९९३ तक वर्तमान राष्ट्रपति जार्ज बुश के पिता के कार्यकाल में भी वे रक्षा मामलों के अंडर सेक्रेटरी थे। वे आज के उपराष्ट्रपति डिक चेनी के साथ भी काम कर चुके हैं। वरिष्ठ बुश के प्रति वफादार वुल्फोवित्ज ने जूनियर बुश के प्रति भी अपनी वफादारी दिखाई है और बुश प्रशासन के सबसे अधिक आक्रामक नेताओं में से एक उन्हें माना जाता है। इराक युद्ध के बाद वैसे भी बुश की लोकप्रियता का ग्राफ विश्व में जितनी तेजी से गिरा है और अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाले चरमपंथी गुटों की गतिविधियां जिस तेजी से बढ़ी हैं वह भी उनकी चिंताओं का एक कारण है। इसलिए यह अकारण नहीं है कि व्हाइट हाउस ने पहले वुल्फोवित्ज का भारी समर्थन किया था, लेकिन जब विश्व बैंक सहित पूरी दुनिया में उनके खिलाफ रोष दिखा तो राष्ट्रपति बुश को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहना पड़ा कि उन्हें इस बात का बहुत अफसोस है कि विश्व बैंक में ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई।
ताजा मिली एक खबर के मुताबिक विश्व बैंक के निवर्तमान अध्यक्ष पॉल वुल्फोवित्ज के स्थान पर अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश ने विश्व बैंक के अगले अध्यक्ष पद के लिए रोंबर्ट जोएलकि का चयन कर लिया है जिसकी औपचारिक घोषणा वे जल्दी ही कर देंगे। वुल्फोवित्ज हालांकि जून माह के अंत तक अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। रॉबर्ट जोएलिक का परिचय यह है कि वे अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिनिधि और उप विदेश मंत्री रह चुके हैं और विश्व व्यापार संगठन की दोहा दौर की वार्ता को आगे बढ़ाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही सूडान में विद्रोही नेताओं के साथ समझौता कराने में भी मध्यस्थता के लिए उन्हें याद किया जाता है। उनके संबंध में यह जान लेना शायद सबसे जरूरी है कि जोएलिक इराक युद्ध की योजना बनाने वालों में से नहीं रहे हैं और बुल्फोवित्ज की तरह वे किसी विवाद में भी नहीं रहे हैं।
यह आरोप नया नहीं है कि विश्व बैंक ने धनी देशों के दवाब में या कहें खास तौर से अमेरिका के दवाब में न सिर्फ वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है बल्कि गरीब देशों को ऋण के एवज में धनी देशों के उत्पाद के लिए अपने बाजारों को खोलने के लिए तरह-तरह से दवाब भी बनाया है। कहना न होगा कि वर्ल्ड बैंक की इस कार्यशैली के कारण बार-बार उस पर ऊंगली उठाई जाती है। वुल्फोवित्ज ने जिस तरह से एक साथ अपनी तानाशाही और प्रेम दोनों को एक साथ साधना चाहा वह तो उनसे सध नहीं पाया, अलबत्ता इतना जरूर हुआ कि सम्राट अष्टम एडवर्ड की तरह उनकी कुर्सी भी गई और प्रेमिका भी नाराज हो गई।
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