'Jan Vikalp' has its own active participation in bringing Justice, Equality and liberty to society. This Hindi monthly, published from Patna, one of the oldest cities of India.
July 12, 2007
राम पुनियानी
ईसाइयों के विरूद्ध हिंसा
गत ६ मई को मध्यप्रदेश में बजरंग दल और विहिप के कार्यकर्ताओं ने दो ईसाई धर्म-प्रचारकों की पिटाई कर दी। उसी दिन बेंगलोर के निकट नरसापुर के मराथोमा चर्च से प्रार्थना करके लौट रहे कुछ ईसाइयों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं ने मारपीट की और उन्हें अगले दस दिनों के भीतर चर्च में ताला लगवा देने की धमकी दी।
इसके पहले, ३ मई को, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में करीब २० ईसाइयों का एक समूह, जो कि एक घर में इकट्ठा हुए थे, की जमकर पिटाई की गई। पिटने वालों में से कुछ को फ्रेक्चर हो गए परंतु पुलिस ने उनकी एफ.आई.आर. तक दर्ज करने से इंकार कर दिया। इसी माह की पहली तारीख को आगरा के सिंकदरा इलाके में बजरंग दल के कुछ युवकों ने एक ईसाई स्कूल पर उस समय हमला किया जब वहां के शासी निकाय की बैठक चल रही थी।
पिछले एक माह में हुई ईसाई विरोधी हिंसा के ये मात्र कुछ उदाहरण हैं। पिछले लगभग एक दशक से देश में ईसाई विरोधी हिंसा जारी है। इस श्रृखला की कुछ घटनाएं तो बहुत भयावह थीं, जैसे २२ जनवरी १९९८ को ग्राहम स्टेन्स व उनके दो बच्चों को जिंदा जला दिया जाना और गुजरात में चर्चों पर हमले और बाइबिल जलाए जाने की घटनाएं। ईसाई विरोधी हिंसा बहुत योजनाबद्ध तरीके से की जा रही है और यह प्रचार लगातार किया जा रहा है कि ईसाई मिशनरियां ताकत और धोखे के बल पर धर्म परिवर्तन करा रही हैं।
ग्राहम स्टेन्स की हत्या के बाद मीडिया का एक हिस्सा भी धर्म परिवर्तन की बात करने लगा था परंतु उसकी बोलती तब बंद हुई जब तत्कालीन एन.डी.ए. सरकार द्वारा नियुक्त वाधवा जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्टेन्स धर्म परिवर्तन के काम से नहीं जुड़े थे और जिस इलाके में वह काम करते थे उस इलाके में ईसाई आबादी में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जहां एक ओर संघ वनवासी कल्याण आश्रम, विहिप और बजरंग दल के जरिए लगातार यह कुप्रचार कर रहा है कि ईसाई मिशनरियां बल प्रयोग और धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन करा रही हैं, वहीं जनगणना के आंकड़े यह बताते हैं कि पिछले चार दशकों से भारत की आबादी में ईसाइयों का प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। १९७१ में वे आबादी का २.६० प्रतिशत थे, १९८१ में २.४४ प्रतिशत, १९९१ में २.३४ प्रतिशत और २००१ में ईसाई भारत की आबादी का मात्र २.३० प्रतिशत थे। ऐसा होने का एक कारण यह है कि ईसाइयों में शिक्षा का अधिक प्रसार हो रहा है और वे परिवार नियोजन अपना रहे हैं ।
भारत में ईसाई धर्म का इतिहास अमरीका और कई अन्य ईसाई-बहुल देशों से अधिक पुराना है। मलाबार तट पर सेंट थामस ने ५२ ई० में चर्च की स्थापना की थी। तभी से ईसाई मिशनरियां भारत के सामाजिक परिदृश्य का हिस्सा बनी हुई हैं । अनेक सुदूर क्षेत्रों में और कई बड़े शहरों में भी स्कूलों और अस्पतालों की स्थापना का श्रेय उन्हें ही जाता है। यह सचमुच बिडंबनापूर्ण है कि जहां सुदूर क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों पर हमले हो रहे हैं वहीं मिशनरियों द्वारा शहरों में चलाए जा रहे स्कूल और अस्पताल उच्च मध्यम वर्ग की पहली पसंद हैं और वे लोग जो दिन रात ईसाई मिशनरियों के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं तब भी अपने बच्चों को मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ाने के लिए ललायित रहते हैं।
यद्यपि भारत में ईसाईयत का इतिहास बहुत पुराना है तदापि मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन कराने का मुद्दा अभी हाल ही में सामने आया है। पहली बार इसकी चर्चा सन् १९५० के दशक के उत्तरार्ध में हुई परंतु यह मुद्दा परवान चढ़ा ८० के दशक के मध्य से, जब पहचान की राजनीति और आरएसएस द्वारा वनवासी कल्याण आश्रम की गतिविधियों का प्रसार हुआ। इस दौरान कई बाबाओं और आचार्यों ने आदिवासी इलाकों में अपने आश्रमों की स्थापना कर डाली और आदिवासियों के 'हिन्दुत्वीकरण` की प्रक्रिया शुरू कर दी। घर-वापसी अभियान इसी हिन्दुत्वीकरण की प्रक्रिया का अंग था। इससे भाजपा को चुनाव में आदिवासियों का समर्थन पाने की आशा थी और उसकी यह आशा पूरी भी हुई। बाद में कुछ राज्यों में धर्म परिवर्तन को निषेध करने वाले कानून बनाए गए। इन कानूनों के पीछे भी राजनीति थी, यह इस तथ्य से और साफ हो गया था कि तमिलनाडु की जयललिता सरकार ने ऐसा कानून बनाया परंतु लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद इस कानून को वापस ले लिया गया।
ईसाइयों के विरुद्ध हिंसा और मुसलमानों के विरूद्ध हिंसा में कई मूलभूत फर्क हैं। मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा उन इलाकों से शुरू होती है जहां मुसलमान और हिंदू व्यापारियों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा हो। राजनैतिक चालबाजियों और बाबरी मस्जिद और गोधरा जैसी घटनाओं के कारण मुस्लिम विरोधी हिंसा में भारी वृद्धि हुई है। ईसाई विरोधी हिंसा में इतना खून खराबा नहीं होता। यह हिंसा मुख्यत: आदिवासी इलाकों में होती है। यद्यपि इसे गुजरात जैसे राज्यों, जहां आदिवासियों का आबादी में प्रतिशत आधे से भी कम है, में भी इसे राजनैतिक मुद्दा बना लिया जाता है।
आदिवासी इलाकों में इस समस्या के कुछ और पहलू भी हैं। आदिवासी इलाकों में हनुमान और शबरी को लोकप्रिय बनाने के प्रयास हो रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में राम और दुर्गा का सहारा लिया जा रहा है। इसमें आदिवासियों की हिंदू राष्ट्र में क्या जगह होगी, उसका संदेश भी निहित है। जब से आदिवासियों ने बढ़ती शिक्षा के चलते अपने भू-अधिकार मांगना शुरू कर दिए हैं तब से उनके फक्कड़पन को महिमामंडित करने का अभियान चलाया जा रहा है। यही कारण है कि पहचान की राजनीति करने वालों को ईसाई मिशनरियों द्वारा इन इलाकों में किए जा रहा शिक्षा का प्रसार बिल्कुल रास नहीं आ रहा है। विहिप-बजरंग दल का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों को जाहिल बनाए रखना है और इसलिए वे ईसाई मिश्नरियों को इन इलाकों से खदेड़ रहे हैं। उन्हीं ईसाई मिशनरियों के शहरों में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने से बजरंग दल को कोई आपत्ति नहीं है।
दूरदराज के इलाकों में काम कर रही ईसाई मिशनरियों पर हो रहे हमले इन हमलों के पीछे की राजनैतिक शक्तियों की प्रकृति व प्रवृत्ति पर रोशनी डालते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि ये शक्तियां ईसाईयों और मुसलमानों को देश के लिए आंतरिक खतरा मानती हैं और ऐसा खतरनाक राजनैतिक खेल खेल रही हैं जिसके लिए किसी सभ्य और प्रजातांत्रिक समाज में कोई जगह नहीं है।
सांप्रदायिकता विरोधी कार्यकर्ता राम पुनियानी आईआईटी, मुंबई में प्राध्यापक रहे हैं।
( जन विकल्प, जुलाई, 2007 )
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धर्मरक्षक श्री दारा सेना
ReplyDelete77 खेड़ाखूर्द, दिल्ली -110082 दूरभाष .9212023514
प्रेस विज्ञप्ति 27-7-11
रोमन कैथेलिक चर्च के इसाई आतंकवाद के खिलाफ याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लगायी
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्रप्रकाश कौशिक के नेतृत्व में धर्मरक्षक श्री दारा सेना,के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने इसाई आतंकवाद पूर्वोत्तर शहीद सैनिक परिजन संघ,,खटिक चर्मकार बाल्मिकी धर्मरक्षक सेना,,हिन्दू पत्रकार व बुद्धिजीवी मच के नेताओं के साथ मिलकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महोदय को जन हित याचिका के रूप में प्रार्थना पत्र दिया। और चर्च के पूर्वोत्तर के इसाई आतंकवाद और नक्सली माओवादी कहे जा रहे ईसाई आतंकवाद की पोल खोलते हुए उसके विनाश की मांग की।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी इस याचिका में बताया गया है कि पूर्वोत्तर के ईसाई आतंकवादी गिरोहों ने वहां के हिन्दुओं का जीना मुश्किल कर रखा हैं ा न्यायालय रोमन कैथोलिक चर्च के इसाई आतंवादियों द्वारा की जा रही लाखों सैनिको व नागरिकों की निर्मम हत्याओं पर और इसाईयत न अपनाने पर जान से मारना और इसाईयत न अपनाने पर बलात्कार करना व डायन बताकर जान से मारने पर स्वयं सज्ञान लेकर देशधर्म की रक्षा करे।
याचिका कत्र्ताओं ने रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा अरूणाचल प्रदेश में वहां के जनजातिय हिन्दुओं को ए के 47 के बल पर जबरदस्ती इसाई बनाने और इसाई न बनने पर जिन्दा जलानें ,मदिर व मठों को तोड़ने और मुख्यमंत्री जी तक का अपहरण करने व उनके परिवार को जान से मारने तक का ब्योरा सबूतों के साथ दिया है।
याचिका कत्र्ताओं ने याचिका में लिखा कि रोमन कैथोलिक चर्च के मंसूबे भारत के नागरिकों व सैनिको की लाशो के ढेर लगाकर उनका पूरा सफाया करना और भारत की संप्रभुता को टुकड़े टुकड़े कर के एक अलग ईसाई देश बनाने के है।इसी माह की 9 तारीख में 20 लाख सूडानी मुस्लिमों की लाश पर बने दक्षिण सूडान नामक ईसाई देश से हमें सबक लेकर भारत की संप्रभुता को बचाने और और भारत की महान संस्कृति को बचाने और उसके नागरिकों की जान की रक्षा करने के लिये कदम उठाने चाहिये। विदेशो से आ रहे खरबों डालर का इस्तेमाल हिन्दुओं का धर्म भ्रष्ट करके उन्हें इसाई आतंकवादी बनाकर भारत सरकार से युद्ध करने और हजारों सैनिकों को मारने में होने का उल्लेख भी याचिका में किया गया है।
18 अप्रैल 2000 को बैपटिस्ट चर्च के एक पादरी व उसके 2 इसाई आतंकवादियों से 50 किलो आर डी एक्स गोला बारूद भी त्रिपुरा सरकार ने बरामद करके गिरफ्तार किया इसके सबूत भी याचिका में दिये गये हैं।
याचिका में मांग की गयी है कि सर्वोच्च न्यायालय सरकार को आदेश दे कि सरकार जनवरी महा मेें मेघालय में इसाईयों द्वारा ध्वस्त किये गये हिन्दू मन्दिरों का पुनः निर्माण करवाये और हिन्दुओं के जलाये गये सभी घरों को तुरन्त बनवाये। इसी के साथ इसाईयों द्वारा मारे गये 30 हिन्दुओं के परिवारों को बीस.बीस लाख रूपये मुआवजे के
दिलवाये। और बैपटिस्ट चर्च को आतंकवादी संगठन करार दे।
याचिका में मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय सरकार को आदेश दे कि सरकार पूर्वोत्तर के इसाई आतंकवादियों व अन्य राज्यों के नक्सली ईसाई आतंकवादियों से बात.चीत का रास्ता अख्तयार करना छोड़कर इन इसाई आतंकवादियों को बमों और गोलियों से भूनकर रख दे। और इनके सभी आतंकवादी अड्डे जिन्हें इन्होंने चर्च अनाथालय अस्पताल इसाई स्कूल का छदम् रूप देकर अपनी पनाहस्थली बना रखा है उन्हें भी नष्ट करें। जैसे कि श्रीलंका सरकार ने लिठ्ठे प्रमुख प्रभाकरण नामक इसाई आतंकवादी का विनाश किया था।
प्रेस सचिव